ई- गवर्नेंस प्रभाग

ई- गवर्नेंस प्रभाग
1.            भारत सरकार की राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के कार्यान्वयन के माध्यम से निम्नलिखित का समन्वय करना एवं सहायता देना :
क)     ई-गवर्नेंस  पर राष्ट्रीय सम्मेलनों तथा ई-गवर्नेंस  पर राष्ट्रीय पुरस्कारों के आयोजन के माध्यम से ई-गवर्नेंस में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना
ख)     ई-ऑफिस मिशन मोड परियोजना (इलेक्ट्रानिक कार्यप्रवाह)
ग)     मास्टर ई-गवर्नेंस  प्रशिक्षण योजना के माध्यम से क्षमता निर्माण
घ)     द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 11वीं रिपोर्ट की मॉनीटरिंग
2.  विभागीय एनआईसी के सहयोग से विभाग की आईपीवी 6 नीति एवं साइबर सुरक्षा
3.  विभागीय एनआईसी के सहयोग से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की वेबसाइट को अद्यतन बनाना
ई-गवर्नेंस प्रभाग द्वारा धारित अभिलेख/प्रकाशन :
1.            उपर्युक्त कार्यकलापों के जरिए सृजित फाइलों और अनुषंगी अभिलेख मौजूदा अभिलेख प्रतिधारण समय-सूची के अनुसार रखे जाते हैं ।
2.            केंद्रीय सचिवालय ई-कार्यालय पद्धति नियम पुस्तिका
3.            राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन से संबंधित प्रकाशन

पृष्ठभूमि
ई-गवर्नेंस सामान्यत: नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने, व्यावसायिक उद्यमों के साथ बातचीत करने तथा सरकार के विभिन्न एजेंसियों के बीच तीव्र, सुकर, सुविधाजनक और पारदर्शी तरीके से संप्रेषण और आदान-प्रदान करने हेतु सरकार के सभी स्तरों पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग को समझा जाता    है ।
ई-गवर्नेंस शासन में विभिन्नग स्टेकहोल्डरों के बीच आदान-प्रदान को सरल एवं सुविधाजनक बनाता है । इसका ब्यौरा निम्नानुसार है :-
•             जी 2 जी (सरकार से सरकार)
•             जी 2 सी (सरकार से नागरिक)
•             जी 2 बी (सरकार से व्यवसाय)
•             जी 2 ई (सरकार से कर्मचारी)
ई-गवर्नेंस का मुख्य लक्ष्य इस प्रकार है :-
•             नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदायगी
•             पारदर्शिता और जवाबदेही का आरंभ
•             सूचना के जरिए लोगों का सशक्तिकरण
•             सरकारों के भीतर बेहतर दक्षता
•             व्यावसाय और उद्योग के साथ बेहतर कार्यकलाप

विभाग की भूमिका
भारत सरकार की कार्य आवंटन नियमावली, 1961 की द्वितीय अनुसूची के अंतर्गत ई-गवर्नेंस, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग को आवंटित किए गए विषयों में से एक विषय है ।  विभाग को समग्र राष्ट्रीय उद्देश्यों  और प्राथमिकताओं के अनुरूप ई-गवर्नेंस कार्यकलापों को प्रोत्‍साहित करने का कार्य सौंपा गया है ।  इस कार्य में मुख्यरत: वैचारिक संकल्पना एवं तकनीकी विशेषज्ञता के लिए इलैक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से शासन संबंधी मुद्दों पर समग्र समन्वय करना शामिल है ।
1. प्रस्तावना
1.1 सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी संसदीय समिति (2005-2006) ने अपनी बाईसवीं रिपोर्ट में ‘’ई-शासन परियोजनाओं का कार्यान्वयन’’ विषय की जांच की है तथा अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित सिफारिशें की हैं :-
1.1.1. समिति संस्तु‍ति करती है कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (अब इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग) को प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए, सभी प्रस्तावित समितियों/निकायों सहित कार्यक्रम प्रबंध संरचना के गठन को पूर्ण करना चाहिए, आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करके उन्हें यथाशीघ्र प्रचलित करना चाहिए ताकि ई-शासन परियोजनाओं के कार्यान्वयन को गति मिल सके।

1.1.2. समिति सिफारिश करती है कि विभिन्न ई-शासन परियोजनाओं के अंतर्गत विविध सार्वजनिक सेवाओं की एक ही स्थान पर डिलीवरी के लिए प्रभावशाली एकीकृत डिलीवरी तंत्र स्थापित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को सभी लाइन मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के साथ समन्वय करना चाहिए।

1.1.3.  समिति संस्तुति करती है कि राष्ट्रीय ई- गवर्नेंस योजना (एनईजीपी) दस्तावेज मंत्रिमंडल के समक्ष बिना किसी विलम्ब के रखा जाए ताकि एनईजीपी के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाएं तेज गति से एक सुनिश्चित मार्ग पर कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढ़ सकें।

1.2.   तदनुसार, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रस्तुत ‘राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के दृष्टिकोण तथा मुख्य घटक पर मंत्रिमंडल के लिए नोट’’ पर मंत्रिमंडल ने 23 फरवरी, 2006 को विचार किया। मंत्रिमंडल ने यह इच्छा व्यक्त‍ की कि सचिवों की समिति एनईजीपी पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करें। सचिवों की समिति ने मार्च, 2006 की अपनी बैठक में इन पर विचार किया। सचिवों की समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रस्तुत ‘’राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के दृष्टिाकोण तथा मुख्य घटक पर मंत्रिमंडल के लिए नोट’’ को मंत्रिमंडल ने 18 मई, 2006 को अनुमोदित कर दिया था।

1.3 सरकार के राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम में मूलभूत शासन की गुणवत्ता  में सुधार को प्राथमिकता दी गई है और उस संदर्भ में साधारण जनता के हित के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ई-शासन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव करती है। इस प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग तथा प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) तैयार की गई है, जिसमें इस समय सामान्य मुख्य एवं समर्थक मूल संरचना सहित मुख्य घटक तथा केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकार के स्त‍रों पर कार्यान्वित करने के लिए कई मिशन मोड परियोजनाएं हैं। एनईजीपी का लक्ष्य नागरिकों तथा व्यवसायों के लिए सरकारी सेवाओं की प्रदायगी में सुधार करना है तथा इसका संकल्पनात्मक विजन निम्नानुसार है:
साधारण जनता को सभी सरकारी सेवाएं उसी के इलाके में सामान्य सेवा प्रदायगी केन्द्रों के माध्यम से उपलब्ध कराना तथा साधारण जनता की मूलभूत जरूरतों को साकार करने के लिए कम लागत पर लिए ऐसी सेवा की कुशलता, पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना’’

2. कार्यान्वयन कार्यनीति
2.1 इसमें शामिल एजेंसियों की बहुलता तथा राष्ट्रीय स्तर पर समग्र एकत्रीकरण तथा एकीकरण की आवश्यकता पर विचार करते हुए एनईजीपी को एक कार्यक्रम के रूप में कार्यान्वित करने का निर्णय किया गया है जिसके लिए इसमें शामिल प्रत्येक एजेंसी की सुनिर्धारित भूमिका तथा जिम्मेदारियां होंगी और एक उपयुक्त कार्यक्रम प्रबंध ढांचे का निर्माण किया जाएगा। लाइन मंत्रालय/विभाग सौंपे गए मिशन मोड परियोजनाओं/संघटकों के लिए जिम्मेदार हैं।

3. एनईजीपी के कार्यान्वयन हेतु पद्धति
3.1  राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस परियोजना के कार्यान्वयन हेतु मंत्रिमंडल टिप्पाणी की पैरा 3.5.1 के अनुसार, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग सामान्य एवं सहायक मूलसंरचना (राष्ट्रीय/राज्य डेटा केन्द्र, सामान्य सेवा केन्द्र तथा इलेक्‍ट्रानिक सेवा प्रदायगी गेटवे) तैयार करेगा तथा इस संबंध में सक्षम प्राधिकारियों के निर्देशों के अन्तर्गत एनईजीपी के कार्यान्वयन की निगरानी तथा समन्वय के लिए समुचित व्यवस्था करेगा। यह विभिन्न ई-शासन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक मानक तथा नीतिगत दिशा-निर्देश भी तैयार करेगा, तकनीकी तथा वास्तविक सहायता प्रदान करेगा, क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं विकास आदि से संबंधित कार्य करेगा। इन भूमिकाओं को निभाने के लिए इलेक्ट्रानिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग अपने-आपको तथा इसकी शाखाओं अर्थात राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र, राष्ट्रीय स्मार्ट सरकार संस्थाषन (एनआईएसजी) आदि को पर्याप्त रूप से सशक्त  करेगा।

3.2 इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग विभिन्न मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों द्वारा एनईजीपी के कार्यान्वयन के लिए सुविधा प्रदानकर्ता तथा उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा और साथ ही उन्हें  प्रत्यक्ष रूप से अथवा बाहर के प्रोफेशनल परामर्शदाताओं के सहयोग से तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा। यह शीर्षस्थ समिति के सचिवालय के रूप में कार्य करेगा और कार्यक्रम के प्रबंध में इसकी सहायता करेगा। इसके अतिरिक्त, यह प्रायोगिक/अवसंरचनात्मक/तकनीकी/विशिष्ट परियोजनाओं का कार्यान्वयन करेगा तथा घटकों को सहायता प्रदान करेगा।

3.3 प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की जिम्मेदारी जेनरिक प्रक्रिया पुन:इंजीनियरी तथा प्रबंध परिवर्तन की दिशा में होगी जो सभी विभागों में प्राप्त किया जाना अपेक्षित है। विभिन्न मिशन मोड परियोजनाओं के लिए संबंधित लाइन मंत्रालय/कार्यान्वयन एजेंसियां अपेक्षित प्रक्रिया पुन: इंजीनियरी तथा प्रबंध परिवर्तन करने के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार होंगी। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग/इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग मानव संसाधन विकास एवं प्रशिक्षण तथा जागरूकता निर्माण के प्रयासों को भी बढ़ावा देंगे।

3.3.1      प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने दो रिपोर्ट– एक 'ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के लिए परिवर्तन प्रबंधन' तथा दूसरी ''ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के लिए व्ययवसाय प्रक्रिया पुन: अभियांत्रिकी'' तैयार कर परिचालित की है।  इन रिपोर्टों को ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का कार्यान्वरयन करने के आशय से केंद्रीय सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों को दिनांक 15.11.2010 को परिचालित किया गया था क्योंकि ये इस संबंध में उच्च स्तरीय मार्गदर्शन उपलब्ध कराते हैं।

3.3.2      प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस परियोजना और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 11वीं रिपोर्ट में यथा परिकल्पित जीपीएएफ नामक व्यवसाय प्रक्रिया पुन: अभियांत्रिकी जेनेरिक दस्तावेज तैयार किया है। जीपीएएफ केंद्रीय सरकारी संगठनों में व्‍यवसाय प्रक्रिया पुन:अभियांत्रिकी आयोजित करने हेतु एक व्यापक सुव्यवस्थित मार्गदर्शन उपलब्ध कराता है।  जीपीएएफ का उद्देश्य प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने का कार्य करना है अर्थात् यह सुनिश्चित करना है कि अप्रचलित प्रक्रियाएं जिनका महत्व नहीं है,  उन्हें समाप्त कर दिया जाए तथा जो प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण सेवाओं की प्रदायगी के लिए अनिवार्य है, उनका अनुकूलन किया जाए।
4. राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस मिशन मोड परियोजना
4.1 सरकार द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना में 27 (अब 31-नई एमएमपी तिरछे अक्षरों में) मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) और 8 सहायक घटक हैं।

केंद्रीय एमएमपी 

राज्य एमएमपी

एकीकृत एमएमपी

1. बैंकिंग

1. कृषि

1. सामान्य सेवा केंद्र

2. केंद्रीय उत्पाद 

2. वाणिज्य कर

2. ई- बिज

3. आयकर

3. ई-जिला

3. ई-कोर्ट

4. बीमा

4. रोजगार केंद्र

4. ई-प्रापण

5. एमसीए 21      

5. भू-अभिलेख

5. ई-व्यवसाय

6. राष्ट्रीय नागरिक डाटा बेस

6. ई-नगरपालिका

6. राष्ट्रीय सेवा प्रदायगी गेटवे

7. आप्रवास, वीजा, विदेशियों का पंजीकरण और ट्रैकिंग

7. स्वास्‍थ्‍य

7. इंडिया पोर्टल

8. पेंशन       

8. शिक्षा

 

9. ई-आफिस

9. सार्वजनिक वितरण

 

10. डाक

10. सड़क परिवहन

 

11. पासपोर्ट

11. कोषागार    

 

 

12. अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क

 

 

13. ई-पंचायत

 

                                        

5. ई-आफिस मिशन मोड परियोजना
5.1 एनईपीजी के अनुसार, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ई-आफिस मिशन मोड परियोजना के लिए लाइन विभाग है। तकनीकी भागीदार के रूप में दिसम्बर, 2009 में एनआईसी का चयन किया गया था।
5.2 ई-आफिस का लक्ष्य  एक ऐसे कार्यालय परिवेश का सृजन करना है जो कागजी दस्तावेजों और फाइलों के उपयोग को कम से कम कर दे तथा कार्यालय कार्य प्रवाह को सरल और कारगर बनाते हुए प्रक्रियागत विलंब को कम करने में सहायक हो। इसके मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है:-
क. सरकारी अनुक्रियाशीलता की कुशलता, निरंतरता और प्रभावकारिता में सुधार करना
ख. कार्य में लगने वाले समय को कम करना तथा नागरिक चार्टर की मांगों को पूरा करना
ग. प्रशासन की गुणवत्ता  में सुधार करने हेतु प्रभावी संसाधन प्रबंधन की व्यवस्था करना
घ. पारदर्शिता और जवाबदेही लाना
ड. किफायती ई-भंडारण सुविधा प्रदान करना
च. कार्यालय परिवेश को उत्तम और पर्यावरण अनुकूल बनाना

5.3          वर्तमान में एनआईसी द्वारा विकसित ई-आफिस में निम्नालिखित उत्पाद शामिल हैं:-
क.     फाइल प्रबंधन प्रणाली-(ई-फाइल)- फाइलों और प्राप्तियों की प्रक्रिया को स्वचालित बनाती है।
ख.     ज्ञान प्रबंधन प्रणाली (केएमएस)-अधिनियमों, नीतियों और दिशा-निर्देशों जैसे विविध दस्तावेजों के केंद्रीकृत संग्रह केंद्र के रूप में कार्य करती है।
ग.     छुट्टी प्रबंधन प्रणाली (ई-लीव) - छुट्टी आवेदन और अनुमोदन प्रक्रिया को स्वचालित बनाता है।
घ.     दौरा प्रबंधन प्रणाली(ई-दौरा)- अधिकारियों/कर्मचारियों के दौरा कार्यक्रमों को स्वचालित बनाता है।
ङ.     कार्मिक सूचना प्रणाली (पीआईएस)-अधिकारियों/कर्मचारियों के रिकार्ड का रख-रखाव करता है।
च.     सहयोग और मैसेजिंग सेवा (सीएएमएस)- आंतरिक सहयोग और मैसेजिंग के लिए।
6.            राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की भूमिका और उत्तरदायित्व
6.1          राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ई-ऑफिस मिशन मोड परियोजना का तकनीकी भागीदार है।  एनआईसी ने कार्यालय ओटोमेशन समाधानों के विविध माडयूलों जिसे अब ई-ऑफिस कहा जाता है, के विकास और डिसास्टर रिवकरी सहित अवसंरचना की स्थापना दोनों में निवेश किया है तथा केंद्र सरकार के सभी विभागों/मंत्रालयों को कवर करने हेतु और निवेश की आवश्यकता है।
6.2          एनआईसी तकनीकी ढांचा और ई-ऑफिस उत्पादों का विकास जारी रखेगी जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
(i)            प्रौद्योगिकी का चयन
(ii)           उत्पाद अभिकल्प  (डिजाइन)
(iii)          ढांचा अपेक्षा विनिर्देशन
(iV)         संरूपण प्रबंधन और संस्कररण नियंत्रण
(V)          कोड का कार्यनीतिक नियंत्रण
(Vi)         ई-ऑफिस की सुरक्षा
(Vii)        गुणवता नियंत्रण

6.3          इसके अतिरिक्त,  यह डाटा केंद्र और बैकअप नीति सहित सुरक्षा नीति के संबंध में प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों का पालन करेगा। 

6.4 इस परियोजना को वर्ष 2010-11 के दौरान तीन प्रायोगिक स्थलों अर्थात् प्र.सु. एवं लो.शि. विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के ई-गवर्नेंस प्रभाग और कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग (प्रशिक्षण प्रभाग) में शुरू किया गया था।  वर्ष 2011-12 के दौरान 12 मंत्रालयों/विभागों अर्थात् (i) शहरी विकास मंत्रालय (ii) सूचना और प्रसारण मंत्रालय (iii) पंचायती राज मंत्रालय (iv) पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (हाल ही में विद्युत मंत्रालय के बदले में शामिल किया गया है) (v) राजस्व विभाग (vi) वित्तीय सेवाएं विभाग (vii) भूमि संसाधन विभाग (viii) खान मंत्रालय (ix) गृह मंत्रालय का आपदा प्रबंधन विभाग (गृह मंत्रालय के अन्य  प्रभाग चरण-2 के भाग हैं) (x) रसायन और पेट्रो रसायन विभाग (xi) उर्वरक विभाग (xii) श्रम और रोजगार मंत्रालय में कार्यान्वयन की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

6.5          इसके अतिरिक्त,  वर्ष 2012-13 के दौरान 6 मंत्रालयों/विभागों में ई-ऑफिस कार्यान्वयन की प्रक्रिया शुरू की गई है।  विचाराधीन मंत्रालय/विभाग इस प्रकार हैं – (i) जल संसाधन मंत्रालय (ii) राजभाषा विभाग (iii) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (iv) कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग {प्रशिक्षण प्रभाग को छोड़कर संपूर्ण विभाग (यह एक प्रायोगिक था)} (v) भारी उद्योग विभाग (vi) संसदीय कार्य मंत्रालय।

6.6          ई-ऑफिस कार्यान्वयन का चरण-III वर्ष 2014-15 में शुरू किया जा रहा है ।

7.            केंद्रीय सचिवालय ई-कार्यालय पद्धति नियम पुस्तिका (ई-पुस्तिका)

7.1          प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने इलेक्ट्रानिक्स परिवेश में कार्य करने के लिए केंद्रीय सचिवालय ई-कार्यालय पद्धति नियम पुस्तिका तैयार करने के लिए इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, एनआईसी तथा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के प्रतिनिधियों का एक कार्य बल गठित किया था।  ई-नियम पुस्तिका प्रकाशित कर वर्ष 2012 में सभी मंत्रालयों/विभागों को परिचालित कर दी गई थी।
8.            मास्टर ई-गवर्नेंस प्रशिक्षण योजना (एमईटीपी)
8.1 प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने मास्टर ई-गवर्नेंस प्रशिक्षण योजना तैयार की है जिसका वर्ष 2013-14 में ई-ऑफिस का कार्यान्वयन करने वाले मंत्रालयों/विभागों में कार्यान्वयन किया जा रहा है।  एमईटीपी का आशय ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का कार्यान्वयन करने के लिए केंद्र सरकार के कर्मचा‍रियों का क्षमता निर्माण करना है।  प्रमुख प्रवीणता क्षेत्रों में व्यवसाय प्रक्रिया पुन: अभियांत्रिकी, परियोजना प्रबंधन, परिवर्तन प्रबंधन आदि को कवर किया गया है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान तथा एनआईसी जी1 (अनुभाग अधिकारी/सहायक और समकक्ष), जी2 (अवर सचिव/उप सचिव/निदेशक और समकक्ष) तथा जी3 (संयुक्त सचिव और समकक्ष) स्तरों का प्रशिक्षण आयोजित कर रहे हैं ।

9.            राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन
9.1          प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा वर्ष 1997 से प्रत्येक वर्ष सूचना प्रौद्योगिकी विभाग एवं एक राज्य सरकार के सहयोग से ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है। इस सम्मेलन में सभी राज्य सरकारों के आई.टी. सचिव, केंद्र सरकार के अधिकारी, शिक्षाविद, उद्योगों के प्रतिनिधि आदि भाग लेते हैं।  राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन नीति-निर्माताओं, व्यावसायिकों, उद्योगपतियों तथा शिक्षाविदों को आदान-प्रदान का एक सार्थक मंच उपलब्ध कराता है तथा उत्तम शासन के लिए एक कार्य योग्य कार्यनीति की सिफारिश करता है तथा आम आदमी को प्रदत्त सेवाओं के मानकों का सुधार करता है। अब तक 17 सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। पिछला सम्मेलन 30-31 जनवरी, 2014 को कोच्चि, केरल में हुआ था।  सम्मेलन का ब्यौरा nceg Website पर उपलब्ध है ।

 

 

10.          राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार
10.1        ई-गवर्नेंस पहलों के कार्यान्वयन को मान्यता देने तथा उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन के दौरान प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करता है। निम्नलिखित श्रेणियों में पुरस्कार दिए जाते हैं :-
1. सरकारी प्रक्रिया पुन: अभियांत्रिकी में उत्कृष्‍टता 
2. नागरिक केंद्रिक सेवा प्रदायगी में उत्कृष्ट कार्य-निष्पादन
3. ई-गवर्नेंस में प्रौद्योगिकी का अभिनव अनुप्रयोग 
4. मौजूदा परियोजनाओं में वर्धित नव प्रवर्तन
5. आईसीटी के जरिए नागरिक केंद्रिक सेवा प्रदायगी में जिला स्तरीय सर्वोत्तम पहल 
6. ई-गवर्नेंस में जीआईएस प्रौद्योगिकी का अभिनव अनुप्रयोग 
7. ई-गवर्नेंस में मोबाइल प्रौद्योगिकी का अभिनव अनुप्रयोग
8. क्षेत्रीय पुरस्कार : प्रतिवर्ष निर्धारित किया जाता है ।  वर्ष 2014-15 के लिए कौशल 
विकास और रोजगार क्षमता
9. केन्द्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आईसीटी का अभिनव अनुप्रयोग 
10. राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/सहकारी समितियों/संघों/सोसाइटियों द्वारा आईसीटी का अभिनव अनुप्रयोग
11. शैक्षिक और शोध संस्थानों द्वारा उत्कृष्ट  ई-गवर्नेंस पहल
12. गैर सरकारी संस्थानों द्वारा विकास हेतु आईसीटी का अनुप्रयोग
10.2        पुरस्कार विजेता पहलों का व्यापक रूप से प्रचार करने के लिए प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग प्रत्येक वर्ष ''कॉज फॉर अप्लॉज'' पुस्तक प्रकाशित करता है जिसमें प्रत्येक अनुकरणीय पहलों का संक्षिप्त लेख होता है।
11.          द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 11वीं रिपोर्ट
11.1        द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने ''अधिशासन का संवर्धन – स्मार्ट आगे बढ़ते कदम'' नामक अपनी 11वीं रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि '' ई-गवर्नेंस मूलत: सरकारी कार्य में सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग है ताकि सरल, नैतिक, जवाबदेह, अनुक्रियाशील और पारदर्शी (स्मार्ट) शासन सृजित किया जा सके।'' द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 11वीं रिपोर्ट की 48 सिफारिशों में से मंत्री समूह ने 47 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के अनुसार ई-गवर्नेंस का लक्ष्य इस प्रकार है:-
क.     नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदायगी
ख.     पादरर्शिता और जवाबदेही का आरंभ
ग.     सूचना के जरिए लोगों का सशक्तिकरण
घ.     सरकारों के भीतर बेहतर दक्षता
ङ.     व्यवसाय और उद्योग के साथ बेहतर इंटरफेस

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